AmazingWorldfact4you अब ले केर आया हे आप के लिए भुकम्प से जुडी कुछ जानकारी
By Anand Banger
नेपाल में 81 साल बाद इतना भयानक भूकंप आया है. भूकंप की असली वजह टेक्टोनिकल प्लेटों में तेज हलचल होती है, यही नहीं उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं.
क्या संभव है भूकंप की भविष्यवाणी?
अभी तक वैज्ञानिक पृथ्वी की अंदर होने वाली भूकंपीय हलचलों का पूर्वानुमान कर पाने में असमर्थ रहे हैं। इसलिए भूकंप की भविष्यवाणी करना फिलहाल संभव नहीं है। वैसे विश्व में इस विषय पर सैकड़ों शोध चल रहे हैं।
भारत में ज्यादातर भूकंप टैक्टोनिक प्लेट में होने वाली हलचलों के कारण आते हैं क्योंकि भारत इसी के ऊपर बसा है, इसलिए खतरा और बढ़ जाता है। लेकिन इन हलचलों का आकलन संभव नहीं है, लेकिन शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि इस टैक्टोनिक प्लेट का हिस्सा आयरलैंड में सतह के करीब है।
शोध चल रहे हैं और हो सकता है कि भविष्य में टैक्टोनिक प्लेट में होने वाली हलचलों का पहले ही अंदाजा लगाने में वैज्ञानिक सफल हो जाएं। लेकिन इसके बावजूद भूकंप की भविष्यवाणी से फायदा यह होगा कि लोगों की जान बच जाएगी, लेकिन भवनों और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को होने वाली क्षति को हम तब भी नहीं रोक पाएंगे।
दुनिया में नीतिगत स्तर पर दोनों दिशाओं में काम हो रहा है। एक पूर्व सूचना, दूसरे भवन और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट ऐसे बनाए जाएं कि भूकंप से होने वाली क्षति को कम से कम किया जा सके।
1. धरती चार परतों से बनी है- इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मेंटल को लिथोस्फेयर कहा जाता है. लिथोस्फेयर 50 किलोमीटर की मोटी परत होती है. ये परत वर्गों में बंटी है और इन्हें टेक्टोनिकल प्लेट्स कहते हैं. जब इन टेक्टोनिकल प्लेटों में हलचल तेज होती है तो भूकंप आता है. यही नहीं उल्का के प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट और माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं.
2. अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड किया गया भूकंप 22 मई1960 को चिली में आया था. यह 9.5 मेग्नीट्यूड तीव्रता का भूकंप था.
3. चिली के बाद अब तक का सबसे बड़ा भूकंप 28 मार्च 1964 में यूनाइटेड स्टेट्स में रिकॉर्ड किया गया था. ये 9.2 मेग्नीट्यूड का था, इससे प्रिंस विलियम साउंड, अलास्का का क्षेत्र काफी प्रभावित हुआ था.
4. क्या आपको मालूम है कि भूकंप से पहले नहरों, नालों और तालाबों में से अजीब सी खुशबू आने लगती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी के नीचे की गैसें बाहर निकलने लगती हैं. यही नहीं ग्राउंड वाटर का तापमान भी भूकंप से पहले बढ़ने लगता है.
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5. अलास्का सबसे ज्यादा भूकंप वाला राज्य और दुनिया का सबसे सिस्मीकली एक्टिव क्षेत्र है. इस क्षेत्र में करीब 7.0 मेग्नीड्यूड के भूकंप हर साल आते हैं. यही नहीं 14 साल में एक बार करीब 8 मेग्नीटयूड और इससे ज्यादा तीव्रता के भूकंप का आना आम बात है.
6. हर साल करीब लाखों भूकंप आते हैं. लेकिन इनकी तीव्रता कम होती है. शायद आपको नहीं मालूम होगा कि नेशनल अर्थक्वेक इंफोर्मेशन सेंटर हर साल करीब 20,000 भूकंप रिकॉर्ड करता है जिसमें से 100 भूकंप ऐसे होते हैं जिनसे नुकसान होता है.
7. शायद आप नहीं जानते होंगे कि भूकंप कुछ सेकेंड या कुछ मिनट तक रहता है. लेकिन अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा देर तक रहने वाला भूकंप 2004 में हिंद महासागर में आया था. यह भूकंप 10 मिनट तक रहा था.
8. 1556 में शांसी चीन में आया भूकंप अब तक का सबसे भयानक भूकंप था, जिसमें 830,000 लोग मारे गए थे.
9. भूकंप से जो ऊर्जा निकलती है वो 1945 में जापान में डाले गए परमाणु बम से निकली ऊर्जा से 100 गुना ज्यादा होती है.
10. भूकंप की तीव्रता मापने वाले रिक्टर स्केल का विकास अमेरिकी वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने 1935 में किया था. रिक्टर स्केल पर प्रत्येक अगली इकाई पिछली इकाई की तुलना में 10 गुना अधिक तीव्रता रखती है. इस स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6.2 की तीव्रता का मतलब शक्तिशाली भूकंप होता है.
विभिन्न रिक्टर स्केलों पर भूकंप
1.- रिक्टर स्केल के अनुसार 2.0 की तीव्रता से कम वाले भूकंपीय झटकों की संख्या रोजाना लगभग आठ हजार होती है जो इंसान को महसूस ही नहीं होते।
2.- 2.0 से लेकर 2.9 की तीव्रता वाले लगभग एक हजार झटके रोजाना दर्ज किए जाते हैं, लेकिन आम तौर पर ये भी महसूस नहीं होते।
3.- रिक्टर स्केल पर 3.0 से लेकर 3.9 की तीव्रता वाले भूकंपीय झटके साल में लगभग 49 हजार बार दर्ज किए जाते हैं, जो अक्सर महसूस नहीं होते, लेकिन कभी-कभार ये नुकसान कर देते हैं।
4.- 4.0 से 4.9 की तीव्रता वाले भूकंप साल में लगभग 6200 बार दर्ज किए जाते हैं। इस वेग वाले भूकंप से थरथराहट महसूस होती है और कई बार नुकसान भी हो जाता है।
5.- 5.0 से 5.9 तक का भूकंप एक छोटे क्षेत्र में स्थित कमजोर मकानों को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाता है जो साल में लगभग 800 बार महसूस होता है।
6.- 6.0 से 6.9 तक की तीव्रता वाला भूकंप साल में लगभग 120 बार दर्ज किया जाता है और यह 160 किलोमीटर तक के दायरे में काफी घातक साबित हो सकता है।
7.- 7.0 से लेकर 7.9 तक की तीव्रता का भूकंप एक बड़े क्षेत्र में भारी तबाही मचा सकता है और जो एक साल में लगभग 18 बार दर्ज किया जाता है।
8.- रिक्टर स्केल पर 8.0 से लेकर 8.9 तक की तीव्रता वाला भूकंपीय झटका सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र में भीषण तबाही मचा सकता है जो साल में एकाध बार महसूस होता है।
9.- 9.0 से लेकर 9.9 तक के पैमाने का भूकंप हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही मचा सकता है, जो 20 साल में लगभग एक बार आता है। दूसरी ओर 10.0 या इससे अधिक का भूकंप आज तक महसूस नहीं किया गया।
By Anand Banger
नेपाल में 81 साल बाद इतना भयानक भूकंप आया है. भूकंप की असली वजह टेक्टोनिकल प्लेटों में तेज हलचल होती है, यही नहीं उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं.
क्या संभव है भूकंप की भविष्यवाणी?
अभी तक वैज्ञानिक पृथ्वी की अंदर होने वाली भूकंपीय हलचलों का पूर्वानुमान कर पाने में असमर्थ रहे हैं। इसलिए भूकंप की भविष्यवाणी करना फिलहाल संभव नहीं है। वैसे विश्व में इस विषय पर सैकड़ों शोध चल रहे हैं।
भारत में ज्यादातर भूकंप टैक्टोनिक प्लेट में होने वाली हलचलों के कारण आते हैं क्योंकि भारत इसी के ऊपर बसा है, इसलिए खतरा और बढ़ जाता है। लेकिन इन हलचलों का आकलन संभव नहीं है, लेकिन शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि इस टैक्टोनिक प्लेट का हिस्सा आयरलैंड में सतह के करीब है।
शोध चल रहे हैं और हो सकता है कि भविष्य में टैक्टोनिक प्लेट में होने वाली हलचलों का पहले ही अंदाजा लगाने में वैज्ञानिक सफल हो जाएं। लेकिन इसके बावजूद भूकंप की भविष्यवाणी से फायदा यह होगा कि लोगों की जान बच जाएगी, लेकिन भवनों और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को होने वाली क्षति को हम तब भी नहीं रोक पाएंगे।
दुनिया में नीतिगत स्तर पर दोनों दिशाओं में काम हो रहा है। एक पूर्व सूचना, दूसरे भवन और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट ऐसे बनाए जाएं कि भूकंप से होने वाली क्षति को कम से कम किया जा सके।
1. धरती चार परतों से बनी है- इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मेंटल को लिथोस्फेयर कहा जाता है. लिथोस्फेयर 50 किलोमीटर की मोटी परत होती है. ये परत वर्गों में बंटी है और इन्हें टेक्टोनिकल प्लेट्स कहते हैं. जब इन टेक्टोनिकल प्लेटों में हलचल तेज होती है तो भूकंप आता है. यही नहीं उल्का के प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट और माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं.
2. अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड किया गया भूकंप 22 मई1960 को चिली में आया था. यह 9.5 मेग्नीट्यूड तीव्रता का भूकंप था.
3. चिली के बाद अब तक का सबसे बड़ा भूकंप 28 मार्च 1964 में यूनाइटेड स्टेट्स में रिकॉर्ड किया गया था. ये 9.2 मेग्नीट्यूड का था, इससे प्रिंस विलियम साउंड, अलास्का का क्षेत्र काफी प्रभावित हुआ था.
4. क्या आपको मालूम है कि भूकंप से पहले नहरों, नालों और तालाबों में से अजीब सी खुशबू आने लगती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी के नीचे की गैसें बाहर निकलने लगती हैं. यही नहीं ग्राउंड वाटर का तापमान भी भूकंप से पहले बढ़ने लगता है.
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5. अलास्का सबसे ज्यादा भूकंप वाला राज्य और दुनिया का सबसे सिस्मीकली एक्टिव क्षेत्र है. इस क्षेत्र में करीब 7.0 मेग्नीड्यूड के भूकंप हर साल आते हैं. यही नहीं 14 साल में एक बार करीब 8 मेग्नीटयूड और इससे ज्यादा तीव्रता के भूकंप का आना आम बात है.
6. हर साल करीब लाखों भूकंप आते हैं. लेकिन इनकी तीव्रता कम होती है. शायद आपको नहीं मालूम होगा कि नेशनल अर्थक्वेक इंफोर्मेशन सेंटर हर साल करीब 20,000 भूकंप रिकॉर्ड करता है जिसमें से 100 भूकंप ऐसे होते हैं जिनसे नुकसान होता है.
7. शायद आप नहीं जानते होंगे कि भूकंप कुछ सेकेंड या कुछ मिनट तक रहता है. लेकिन अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा देर तक रहने वाला भूकंप 2004 में हिंद महासागर में आया था. यह भूकंप 10 मिनट तक रहा था.
8. 1556 में शांसी चीन में आया भूकंप अब तक का सबसे भयानक भूकंप था, जिसमें 830,000 लोग मारे गए थे.
9. भूकंप से जो ऊर्जा निकलती है वो 1945 में जापान में डाले गए परमाणु बम से निकली ऊर्जा से 100 गुना ज्यादा होती है.
10. भूकंप की तीव्रता मापने वाले रिक्टर स्केल का विकास अमेरिकी वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने 1935 में किया था. रिक्टर स्केल पर प्रत्येक अगली इकाई पिछली इकाई की तुलना में 10 गुना अधिक तीव्रता रखती है. इस स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6.2 की तीव्रता का मतलब शक्तिशाली भूकंप होता है.
विभिन्न रिक्टर स्केलों पर भूकंप
1.- रिक्टर स्केल के अनुसार 2.0 की तीव्रता से कम वाले भूकंपीय झटकों की संख्या रोजाना लगभग आठ हजार होती है जो इंसान को महसूस ही नहीं होते।
2.- 2.0 से लेकर 2.9 की तीव्रता वाले लगभग एक हजार झटके रोजाना दर्ज किए जाते हैं, लेकिन आम तौर पर ये भी महसूस नहीं होते।
3.- रिक्टर स्केल पर 3.0 से लेकर 3.9 की तीव्रता वाले भूकंपीय झटके साल में लगभग 49 हजार बार दर्ज किए जाते हैं, जो अक्सर महसूस नहीं होते, लेकिन कभी-कभार ये नुकसान कर देते हैं।
4.- 4.0 से 4.9 की तीव्रता वाले भूकंप साल में लगभग 6200 बार दर्ज किए जाते हैं। इस वेग वाले भूकंप से थरथराहट महसूस होती है और कई बार नुकसान भी हो जाता है।
5.- 5.0 से 5.9 तक का भूकंप एक छोटे क्षेत्र में स्थित कमजोर मकानों को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाता है जो साल में लगभग 800 बार महसूस होता है।
6.- 6.0 से 6.9 तक की तीव्रता वाला भूकंप साल में लगभग 120 बार दर्ज किया जाता है और यह 160 किलोमीटर तक के दायरे में काफी घातक साबित हो सकता है।
7.- 7.0 से लेकर 7.9 तक की तीव्रता का भूकंप एक बड़े क्षेत्र में भारी तबाही मचा सकता है और जो एक साल में लगभग 18 बार दर्ज किया जाता है।
8.- रिक्टर स्केल पर 8.0 से लेकर 8.9 तक की तीव्रता वाला भूकंपीय झटका सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र में भीषण तबाही मचा सकता है जो साल में एकाध बार महसूस होता है।
9.- 9.0 से लेकर 9.9 तक के पैमाने का भूकंप हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही मचा सकता है, जो 20 साल में लगभग एक बार आता है। दूसरी ओर 10.0 या इससे अधिक का भूकंप आज तक महसूस नहीं किया गया।
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